मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: परिचय-
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वर्तमान काल में, मानसिक स्वास्थ्य, एक ऐसा विषय बन चुका है, जिसके लिए चर्चा करना, अब आवश्यक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य हो गया है। जहां महिलाओं और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता लगातार बढ़ रही है, वहीं पुरुषों के लिए मानसिक स्वास्थ्य की बातें, अभी भी समाज में दबकर रह जाती हैं। इसी चुप्पी को तोड़ने और पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए, प्रत्येक वर्ष जून का महीना, ‘मेंस मेंटल हेल्थ मंथ’ के रूप में मनाया जाता है।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के अंतर्गत, प्रत्येक वर्ष जून का यह महीना, विशेष रूप से पुरुषों को मानसिक रूप से, स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करता है, उन्हें भावनात्मक सहयोग देने का संदेश देता है और समाज में फैली हुई मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियों को, दूर करने की कोशिश करता है। मेंस मेंटल हेल्थ मंथ, भले ही जून के महीने में मनाया जाता है, लेकिन इसका संदेश प्रत्येक वर्ष, प्रत्येक महीना और प्रत्येक दिन के लिए आवश्यक हो जाता है। पुरुषों के जीवन में, बहुत सारी जिम्मेदारियां होती हैं, जैसे- परिवार चलाना, नौकरी या व्यवसाय संभालना, सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करना आदि इन सभी का मानसिक दबाव पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ जाता है।
जब हम “पुरुष” शब्द का उच्चारण सुनते हैं या करते है तो सदैव हमारे अंतर्मन में, एक ताकतवर, निर्भीक और संघर्ष करने वाले पुरुषों की छवि उभरने लगती है। मगर यह छवि एक मिथक भी हो सकती है, क्योंकि किसी समस्या अथवा मानसिक अस्वस्थता के कारण, कई पुरुष अपने अंतर्मन की पीड़ा चुपचाप सहते रहते हैं। मेंस मेंटल हेल्थ मंथ अर्थात जून का महीना, इसी चुप्पी को तोड़ने और यह बताने के लिए दृढ़ संकल्पित है कि पुरुषों में भी मानसिक भावना होती हैं, उनके अंतर्मन में संघर्ष भी होते हैं, और वे भी सहायता तथा समाधान के लिए अधिकार रखते हैं।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: इतिहास-
वर्ष 1994 में पुरुषों का स्वास्थ्य सप्ताह के रूप में इसकी शुरुआत हुई, जिसे अमेरिका में एक सप्ताह तक मनाया गया। बाद में इसे पूरे जून के महीने के लिए विस्तारित करके मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के रूप में बनाया गया। इसमें मानसिक स्वास्थ्य को तभी से सम्मिलित किया गया, जब मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के महत्व को समझा गया। अब प्रत्येक जून के महीने को, पूरे विश्व में मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के रूप में मनाया जाता है।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: पुरुषों की चुप्पी–
मानसिक स्वास्थ्य, किसी उम्र, लिंग, या वर्ग की सीमा के अंतर्गत, नहीं होता है। लेकिन पुरुषों के संदर्भ में यह विषय मिथ्या होकर, कई सामाजिक और सांस्कृतिक परतों में उलझा हुआ है। लड़कों को बचपन से ही यह सिखाया जाता है, ‘मर्द रोते नहीं, ‘तू लड़की जैसी बात कर रहा है’, ‘कमज़ोर मत बन ‘आदि, ये सभी वाक्य बचपन में भले ही सामान्य लगे हों, लेकिन यही बातें, धीरे-धीरे मानसिक दवाब, आत्म-अस्वीकृति और भावनात्मक अवरोध का कारण बन भी जाती हैं।
जब पुरुष अपने जीवन में किसी भी मानसिक संकट का सामना करता है, तो वह अपनी बात कहने से डरता है कि लोग उसे कमजोर समझेंगे। यही सोच उसे अकेलेपन और मानसिक बीमारियों की ओर ले जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि पुरुष दर्द में भी मुस्कुराते हैं और अंतर्मन से टूटने पर भी चुप ही रहते हैं।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं-
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के अंतर्गत, पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याएं देखी जाती हैं। जैसे- डिप्रेशन (अवसाद), चिंता और घबराहट, तनाव, नींद की समस्या, नशे की लत, आत्महत्या का विचार आदि। चौंकाने वाली बात यह है कि दुनिया भर में आत्महत्या करने वाले पुरुषों की संख्या, महिलाओं की तुलना में चार गुना अधिक होती है। इसका एक मुख्य कारण यही है कि पुरुष अपनी मानसिक परेशानी को समय रहते किसी से साझा नहीं कर पाते।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: उद्देश्य-
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के अंतर्गत, इस विशेष जून के महीने का उद्देश्य है-
1- पुरुषों को यह समझाना कि मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल भी उतनी ही आवश्यक है जितनी शारीरिक स्वास्थ्य की।
2- उन्हें यह विश्वास दिलाना कि यदि वे अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं, तो वे कमजोर नहीं, बल्कि साहसी हैं।
3- मानसिक बीमारियों से संबंधित, सामाजिक कलंक को दूर करना।
4- पुरुषों के लिए सहायक संसाधनों, काउंसलिंग सेवाओं और हेल्पलाइन की जानकारी देना।
5- परिवार और दोस्तों को भी यह सिखाना कि वे पुरुषों को कैसे सपोर्ट कर सकते हैं।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के अंतर्गत, यह महीना हमें यह याद दिलाता है कि पुरुषत्व का अर्थ, केवल ताकतवर दिखना नहीं होता, बल्कि खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रखना और जरूरत पड़ने पर मदद मांगना भी एक सच्ची बहादुरी है। जब हम पुरुषों की भावनाओं को स्वीकार करना शुरू करेंगे, तभी एक सशक्त और संतुलित समाज का निर्माण संभव होगा। अतः हम सभी मिलकर इस मौन को तोड़ें और हर पुरुष को यह विश्वास दिलाएं कि उसकी आवाज़, उसकी भावनाएं और उसका मानसिक स्वास्थ्य भी मायने रखता है।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: आवश्यकता–
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के अंतर्गत, पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता इस प्रकार है।
1. सांस्कृतिक अपेक्षाएं और दबाव–
हमारे समाज में अक्सर पुरुषों से अपेक्षा की जाती है कि वह हमेशा मजबूत, शांत और आत्मविश्वासी हों। अपनी भावनाओं को व्यक्त करना या मानसिक पीड़ा को स्वीकार करने से, लोग उन्हें कमजोर न समझें। इसी मानसिकता के डर से, वे अपने अंतर्मन की पीड़ा, दूसरों के सामने प्रकट नहीं कर पाते हैं।
2. मासिक तनाव और जिम्मेदारियां–
आज के समय में पुरुष कई भूमिकाएं निभाते हैं, जैसे- काम, परिवार, समाजिक ज़िम्मेदारी, आर्थिक दबाव आदि। नौकरी की अनिश्चितता, परिवार की देखभाल, आर्थिक संकट, करियर की चुनौतियां, इन सभी का प्रभाव, मानसिक स्थिति पर पड़े बिना नहीं रहता है।
3. अदृश्य मानसिक रोग–
पुरुषों में अक्सर डिप्रेशन, चिंता, तनावग्रस्तता, सोशल फोबिया, अल्कोहल या नशा जैसी समस्याएं होती हैं। लेकिन वे कई बार डॉक्टर या मनोचिकित्सक की सहायता लेने से कतराते हैं, क्योंकि इस विषय पर खुलकर चर्चा नहीं होती है।
4 आत्महत्या की दर में वृद्धि–
दुनिया भर में, पुरुषों की आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में चार गुना अधिक है। यह सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर कमी को ही प्रमाणित करता है, जो समय रहते सुधार किया जा सकता है।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: स्वास्थ्य से संबंधित चुनौतियां–
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के अंतर्गत, मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित चुनौतियां इस प्रकार है।
1. अवसाद–

अवसाद केवल उदासी ही नहीं है। यह निराशा, थकान, रुचि खोना, नींद या भूख में बदलाव, आत्मसम्मान में गिरावट जैसी लक्षणों से जुड़ा होता है। पुरुषों में सदैव अवसाद की पहचान करना मुश्किल होती है क्योंकि वे इसे गुस्सा, चिड़चिड़ापन या अधिक कार्य करने की प्रवृत्ति से छुपा लेते हैं।
2. चिंता और तनाव–

चिंता, कई रूपों में होती है। जैसे- वित्तीय, पारिवारिक, करियर आदि। इसके अतिरिक्त तनाव से नींद नहीं आती है। मन बार-बार परेशान रहता है। सांस और दिल की धड़कन तेज हो जाती है।
3. आत्मचिंतन की कमी–

पुरुष सदैव दुसरों से खुलकर अपनी भावनाएं साझा करने में, असहज महसूस करते हैं। आत्मचिंतन की कमी, जैसे- भरोसेमंद दोस्त, परिवार या थैरेपिस्ट, उनकी मानसिक परेशानी को गहरा बना देती है।
4. सामाजिक अपेक्षाएं–
कुछ मान्यताएं पुरुषों को अपने मानसिक संघर्ष छुपाने की ओर कुछ प्रेरित करती है जिसे इसे विषाक्त पुरुषत्व भी कहा जाता है। जैसे-“पुरुष को रोना नहीं चाहिए” या “पुरुष को भावनाओं को दबाने में ज़्यादा मजबूती है”
5. नशा और आत्म-क्षति-
कुछ पुरुष शराब, धूम्रपान, ड्रग्स या नशे की ओर भागते हैं—तनाव या दुख से निपटने के लिए। यह अस्थायी राहत दे सकता है, लेकिन लंबे समय में मानसिक स्वास्थ्य को और बिगाड़ता है।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: सांस्कृतिक और समाजिक अवरोध–
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के अंतर्गत, मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कुछ सांस्कृतिक और समाजिक अवरोध इस प्रकार है।
1. पुरुषत्व की परिभाषा–
समाज में पुरुषत्व से जुड़ी कई कठोर परिभाषाएं हैं। जैसे- आत्मनिर्भर, भावनाओं को नहीं दिखाने वाला, निर्णयकर्ता। ये परिभाषाएं पुरुषों को मानसिक दर्द छुपाने और समस्या स्वीकार न करने की ओर प्रेरित करती हैं।
2. मदद माँगने में घृणा–
‘मदद माँगना कमजोरी की निशानी’ की धारणा समाज में गहराई तक फैली है। कोई थैरेपिस्ट से मिलने की बात करे, तो कई पुरुष उसे ‘मनोचिकित्सा की जरूरत है’ का टुकड़ा समझकर, पीड़ा का अनुभव करते हैं।
3. जागरूकता का अभाव–
कई पुरुषों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में ठीक से जानकारी नहीं होती। वे लक्षण महसूस करते हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं कि क्या करना चाहिए, कहाँ जाना चाहिए, कैसे चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए।
4. पारिवार के सदस्यों की लापरवाही–
कुछ परिवार मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लेते। वह इसे ‘दिमागी कमजोरी, ‘अजीब शब्द’ या ‘चिंता का कारण नहीं’ समझकर, असंवेदनशील प्रतिक्रिया देते हैं।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: सुधार के लिए उपाय और रणनीतियां–
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ के अंतर्गत, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए उपाय और रणनीतियां इस प्रकार है।
1- प्राथमिक पहचान करें–
यदि आप अनुभव करते हैं कि नींद नहीं आ रही है, भूख कम लग रही है, मन की रूचि समाप्त हो गई है, बार-बार दुखी का अनुभव कर रहे हैं, तो ये सब अवसाद या चिंता के संकेत हो सकते हैं। लगातार गुस्सा आना, काम के दौरान अत्यधिक थकावट, मित्रों से दूरी, शराब या नशे की ओर झुकाव हो गई है, तो इन पर ध्यान दें।
2- विश्वासपात्र व्यक्ति से बात करें–

एक करीबी मित्र, परिवार का सदस्य या विश्वासपात्र व्यक्ति, जिनसे आप खुलकर अपनी बात कह सकें, उन्हें अपनी स्थिति से अवगत कराएं। बात करने से मन हल्का हो जाता है और आप अपनी समस्या को समझ पाते हैं।
3- सलाह या थैरेपी लें–

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, जैसे- मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से मिलने में हिचकिचाएं नहीं। थैरेपी आपकी भावनाओं को बाहर निकालने, पैटर्न समझने, और सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करती है।
4- खुद का ध्यान रखें–

प्रतिदिन संतुलित आहार, योग या व्यायाम, पर्याप्त नींद और आराम जरूरी है। ध्यान, प्राणायाम, चलना-फिरना, और प्रकृति के सानिध्य में समय बिताने से मानसिक शांति मिलती है।
5- सामाजिक जुड़ाव बनाए रखें–

दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं। अपनी रुचियों, जैसे- खेल, संगीत, पुस्तक आदि में भाग लें। इसके अतिरिक्त, सामूहिक गतिविधियां जैसे- क्लब, अधिकारी कार्यक्रम आदि सामाजिक संबंध को मजबूत करते हैं।
6- शराब और नशे से बचें–

तनाव के समय शराब या ड्रग्स का सेवन न करें। ये अस्थायी राहत देते हैं लेकिन समस्या को बढ़ा देते हैं। नशे की लत से निकलने के लिए प्रोफेशनल मदद लें। जैसे- डिटॉक्स केंद्र, समर्थन ग्रुप, चिकित्सक आदि।
7- डिजिटल ब्रेक–

सोशल मीडिया, फालतू स्क्रीन टाइम, काम संबंधी चैट और सूचनाओं से थोड़ी दूरी बनाएं। डिजिटल संसार से कुछ समय दूर रहकर मन को आराम दें।
8- छोटी–छोटी खुशियों को अपनाएं–

अच्छा खाना, पसंदीदा गाना सुनना, परिवार के साथ समय बिताना, पुस्तक पढ़ना, प्रकृति के सानिध्य में घूमना आदि, ऐसे छोटे-छोटे कार्य आपके मूड को बेहतर कर सकते हैं।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: महत्व–
मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत, मेंस मेंटल हेल्थ मंथ का महत्व इस प्रकार है।
1. जागरूकता फैलाना–
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ में विभिन्न संस्थाएं सोशल मीडिया, मीडिया टॉक, वर्कशॉप, वेबिनार आदि माध्यमों से पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाती हैं। जैसे- इसके लक्षण क्या होते हैं, इसके लिए मदद कैसे लें, यह समस्या कितनी सामान्य है आदि।
2. मानसिक स्वास्थ्य के लिए समर्थन-
“आप अकेले नहीं हैं।“ इस संदेश को बड़े पैमाने पर प्रसारित किया जाता है। पुरुषों को यह समझाया जाता है कि मदद लेने में कोई शर्म नहीं, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य स्वास्थ्य का हिस्सा है।
3. संसाधन उपलब्ध कराना-
सेमिनार, काउंसलिंग स्लोगन, हेल्पलाइन नंबर, थैरेपिस्ट लिस्ट, दोस्त‑परिवार को समर्थन देने की रणनीतियां आदि ये सभी संसाधन, इस माह में साझा किए जाते हैं जिससे कि हर व्यक्ति, सही दिशा में कदम उठा सके।
4. भूमिका मॉडल्स और कहानियां–
प्रसिद्ध पुरुष, जैसे- डॉक्टर, खिलाड़ी, नेता आदि अपनी मानसिक स्वास्थ्य यात्रा को साझा करते हैं. यह दिखाने के लिए कि अवसाद, चिंता, तनाव से हर कोई प्रभावित हो सकता है, और इसका समाधान संभव है।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: सहायक संसाधन–
1. हेल्पलाइन और ऑनलाइन सपोर्ट–
भारत में कुछ प्लेटफॉर्म, जैसे- किरण हेल्पलाइन, आसरा, थेरेपी प्लेटफॉर्म आदि हेल्पलाइन और ऑनलाइन सपोर्ट जारी करते हैं, जहां थैरेपिस्ट से सम्बंधित बातचीत की जा सकती है।
इसके अलावा, अगर आपको मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई और जानकारी चाहिए, तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। आप edublog.cloud वेबसाइट से नवीनतम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इससे जुड़े अन्य ब्लॉग भी उपलब्ध हैं।
इस ब्लॉग के समकक्ष अन्य ब्लॉग भी भी लिखा गया है।
2. स्थानीय क्लब और सपोर्ट ग्रुप-
शहरों में जैसे दिल्ली, मुंबई, लखनऊ आदि में मानसिक स्वास्थ्य क्लब, सपोर्ट ग्रुप होते हैं जहाँ पुरुष अपने अनुभव साझा कर सकते हैं, और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
3. पुस्तक और ब्लॉग–
हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध पुस्तकों और ब्लॉग, जैसे- ‘The Mindful Male’, ‘Man’s Search for Meaning’, ‘Emotional Intelligence’, Mental Healtrh (Blog) व हिंदी पुस्तकें जैसे ‘मन की शक्ति’, ‘जीवन के भावनात्मक पहलू’ आदि सहायक हो सकते हैं।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: व्यक्तिगत अनुभव: कल्पनिक कहानी–
टॉमी की कहानी–
टॉमी एक 35‑वर्षीय इंजीनियर हैं। परिवार, करियर और आर्थिक दबावों के कारण हमेशा तनाव में रहते थे। धीरे‑धीरे उन्हें नींद भी कम आने लगी थी। उन्हें गुस्सा ज़्यादा आने लगा था, काम में मन नहीं लगता था। सामाजिक समारोहों में जाने से बचते थे। धीरे‑धीरे दोस्तों से दूरी बढ़ती गयी। एक दिन कोई उनसे कहता, “तुम ठीक हो?”, तो वे टूट कर हमेशा दुखी रहते थे।
उसने अपने सबसे करीबी दोस्त से खुलकर अपनी बातें बताईं। मित्र ने सुझाव दिया कि किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करो। टॉमी ने मनोचिकित्सक से संपर्क किया। कुशल थैरेपिस्ट और काउंसलर की मदद से उन्होंने धीरे‑धीरे चिंता और तनाव को समझा, भावनाएं व्यक्त कीं और सकारात्मक आदतें अपनाईं।
कुछ महीनों में उन्होंने जीवनशैली बदली। प्रत्येक दिन योग, स्वस्थ भोजन, ध्यान, पर्याप्त नींद, और समय-समय पर थैरेपी से बेहतर महसूस करने लगे। अब वे अपने अनुभव को अन्य पुरुषों के साथ साझा करते हैं, ताकि वे जान सकें कि मदद लेना शर्म की बात नहीं, बल्कि जिंदा होने की जिम्मेदारी है।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ: निष्कर्ष–
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ का उद्देश्य पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना और समाज में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना है। पुरुषों को सामाजिक और पारिवारिक दबावों के कारण अपनी भावनाओं को दबाना पड़ता है। ” ‘पुरुष रोते नहीं’ जैसी परंपरावादी सोच, उन्हें मानसिक समस्याओं को खुलकर व्यक्त करने से रोकती है। परिणामस्वरूप, वे तनाव, डिप्रेशन और यहां तक कि आत्महत्या जैसी गंभीर स्थितियों का शिकार हो सकते हैं।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ, एक पुनरावृत्ति नहीं, बल्कि हर पुरुष के जीवन का प्रेरक अवसर है। अतः समय रहते अपनी मानसिक स्थितियों को पहचानें, मदद माँगने में संकोच न करें, आत्म-देखभाल अपनाएं और समाज को यह संदेश दें कि पुरुष भावनाओं से अलग नहीं। हम सभी, मित्र, परिवार, संस्थाएं, सरकार की एक जिम्मेदारी है कि हम पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को सामान्य स्वास्थ्य की तरह स्वीकार करें, समर्थन दें, और सभी को एक सुरक्षित वातावरण उत्पन्न करें, जहां वे खुलकर बात कर सकें।
मेंस मेंटल हेल्थ मंथ, केवल जून के महीने भर का अभियान नहीं है। यह मेंस मेंटल हेल्थ मंथ पर, वार्षिक जागरूकता और क्रियात्मक बदलाव की दिशा में एक कदम है। पुरुषों की मानसिक चुनौतियों को पहचानना, उन्हें सुरक्षित स्थान देना, सहायता के लिए विकल्प बताना, ये सभी समाज को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने की ओर बढ़ते कदम हैं।
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